क्या आप जानते हैं अपने नाम के विपरीत, किलर व्हेलें ( Killer whales ) मनुष्यों पर हमला नही करती हैं, और मनुष्य इनके आहार में शामिल ही नही हैं?

Ashok Nayak
0
किलर व्हेल या ओर्का (Orcinus orca)

किलर व्हेल या ओर्का (Orcinus orca) एक दांतेदार व्हेल है जो कि समुद्री डॉल्फिन (सूंस) परिवार से संबंधित है, जिसमें से यह सबसे बड़ी सदस्य है। किलर व्हेलों में एक विविध आहार होता है, हालांकि व्यक्तिगत आबादी अक्सर विशेष प्रकार के शिकार में विशेषज्ञ होती है। कुछ विशेष रूप से मछली पर निर्भर करते हैं, जबकि अन्य समुद्री स्तनधारियों जैसे कि सील, जलसिंह, और डॉल्फिन की अन्य प्रजातियों का शिकार करते हैं। वे छोटी बलीन व्हेल और यहां तक कि वयस्क व्हेल पर भी हमला करने के लिए जाने जाते हैं।

किलर व्हेल एपेक्स परभक्षी हैं, क्योंकि कोई भी जानवर उन पर शिकार नहीं करता है। एक कॉस्मोपॉलिटन प्रजातियां, वे दुनिया के प्रत्येक महासागर में विभिन्न प्रकार के समुद्री वातावरण में पाए जा सकते हैं, आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों से उष्णकटिबंधीय समुद्र तक, केवल बाल्टिक और काले सागर, और आर्कटिक महासागर के कुछ क्षेत्र को छोड़ कर। किलर व्हेलें काफी समझदार और चतुर प्राणी होती हैं, और शिकार में भी अपनी बुद्धि का प्रयोग करती हैं। 

अपने नाम के विपरीत, यह कातिलाना स्वभाव की नही होती है, और मनुष्य इसके आहार में शामिल नही हैं। खुले पानी में आमतौर पर यह मनुष्यों पर आक्रमण नही करती, मगर बंदी हालत में इन्हे अपनी देखभाल करने वालों को चोट पहुँचाते पाया गया है।

किलर व्हेल के प्रकार कौन कौन से होते हैं ?
किलर व्हेल या ओर्का (Orcinus orca)

वर्तमान में किलर व्हेलों को चार श्रेणी में रखा गया है:-

टायप A (प्रकार 'ए'): यह सबसे बड़ी होती हैं, काले और सफेद रंग की और इनकी आँख के पास एक सफेद धब्बा होता है। यह आम तौर पर मिंक व्हेलों का शिकार करती है।

टायप B (प्रकार 'बी'): यह टायप ए से छोटी होती हैं, और हल्के काले और मटमैले सफेद रंग की होती हैं। इनकी आँख के पास का धब्बा अपेक्षाकृत बड़ा होता है। यह ज्यादातर सील मछलियाँ खाती है।

टायप C (प्रकार 'सी'): यह सबसे छोटी होती हैं, हल्के काले और मटमैले सफेद रंग की। इनकी आँख के पास एक तिरछी धारी होती है। यह बड़े समूहों में रहती है। इसे अबतक सिर्फ अंटार्कटिक कॉड खाते ही देखा गया है।

टायप D (प्रकार 'डी'): यह काले और सफेद रंग की होती है, और मुख्यतः खुले समुद्र में रहती है। इसकी आँख के पास बस एक छोटी सी क्षितिज रेखा होती है। इसकी पहचान अपेक्षाकृत हाल (१९५५) में ही की गई थी। यह औरों से काफी भिन्न और दुर्लभ होती हैं। इनके सिर की बनावट गुब्बारेनुमा होती है, और इनकी डॉर्सल फिन अपेक्षाकृत पतली होती है।

प्रकार B और C दोनों ही बर्फ़ीले पानी में रहती हैं। किलर व्हेंलें समुद्री सूंस परिवार की 35 प्रजातियों मे से एक है, जो की लगभग 1.1 करोड़ साल पहले आईं। वास्तव में यह एक व्हेल से अधिक एक डॉल्फिन जैसी होती है।

किलर व्हेल का जीवन काल कैसे चलता है ? 

ओर्काएं तीन से दस साल के अंतराल में बच्चे को जन्म देती हैं, और उसकी काफी देखभाल करतीं है। अधिकतर बच्चे बड़े होने के बाद माँ से अलग हो जाते है, मगर कुछ बच्चे हमेशा अपनी माँ के साथ उसी झुंड में ही रह जाते हैं। इनका गर्भधारण का समय लगभग १७ महीने का होता है। ओर्काएं अपना जीवन खेलते, परिवार का रखरखाव, और शिकार करते हुए बिताती हैं।

किलर व्हेल की बनावट कैसी होती हैं ?
किलर व्हेल या ओर्का (Orcinus orca)

व्यस्क नर ऑर्का लगभग 8 से 8 मीटर के होते हैं और 6 टन से ज्यादा भारी होते हैं, जबकि मादाएँ 5 से 7 मीटर लम्बीं होती और ३ से 5 टन की होती हैं। इनके बदन का तापमान 36 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। नरों की डार्सल फिन लगभग 18 मीटर की और सीधी होती है, जो की मादाओं के गोल पीछे की ओर मुड़े हुए पंखों के दोगुणा है। इसके अलावा दोनों लिंगों में और भी भिन्नताएं हैं जिनमें नरों का लम्बा निचला जबड़ा भी शामिल है। इनका जबड़ा बेहद मजबूत होता है और ये 30 नॉट से भी अधिक गति से तैर सकती हैं।

कीकर व्हेल के मनुष्यों के साथ संबंध

पश्चिमी सभ्यता में, पहले ओर्काओं को एक बेरहम कातिल समझा जाता था, और इन्हें मारना बहुत ही आम बात थी। विशेष कर जब इन व्हेलों के बारे में प्रथम जानकारी मिली तब। इसी वजह से इन्हें किलर व्हेल कहा जाने लगा। हालाँकि आधुनिक युग में इनके बारे में ज्यादा जानकारी मिली और तब इन्हें एक बेकार जानवर के रुप में देखा जाने लगा, और धीरे धीरे जागरुकता फैलने के बाद इन्हें बचाने की चेष्ठा की जाने लगी। 

इनके बारे में सोच तब बदली जब 1964 में एक किलर व्हेल पकड़ी गई और उसका अध्ययन किया गया। जब उस पर हार्पून से वार किया गया तब उस व्हेल के दो साथी उसकी सहायता को आ गये और उसे साँस देने के लिये पानी के उपर रखने की चेष्टा करने लगे। उसे मारने के असफल प्रयास के बाद, एक मछलीघर के निर्देशक मुर्रे ए निउमैन ने उसे बचाने की ठानी और उसे खींच कर वैनकुवर ले आये। लगभग दो महीने तक यह भी पता नही लग पाया की उसकी सामान्य आहार क्या थी। 

जब 55 दिन बाद उसे किसी ने मछली खाने को दी तो व्हेल ने उसे खा लिया।उसे देखने वाले इस बात से हैरान थे की वह एक शांतिप्रिय और समझदार जीव था, जिसने मनुष्यों को चोट पहुंचाने की कोई चेष्टा नही की। इसके करीब एक महीने बाद उस व्हेल की भी बंदी हालत में मृत्यु हो गई। समय के साथ इन्हें दी गई "किलर व्हेल " की उपाधि मिटती जा रही है, और "ओर्का " नाम प्रचलन में आने लगा है।

तो दोस्तों, कैसी लगी आपको हमारी यह पोस्ट ! इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें, Sharing Button पोस्ट के निचे है। इसके अलावे अगर बिच में कोई समस्या आती है तो Comment Box में पूछने में जरा सा भी संकोच न करें। अगर आप चाहें तो अपना सवाल हमारे ईमेल Personal Contact Form को भर पर भी भेज सकते हैं। हमें आपकी सहायता करके ख़ुशी होगी । इससे सम्बंधित और ढेर सारे पोस्ट हम आगे लिखते रहेगें । इसलिए हमारे ब्लॉग “Hindi Variousinfo” को अपने मोबाइल या कंप्यूटर में Bookmark (Ctrl + D) करना न भूलें तथा सभी पोस्ट अपने Email में पाने के लिए हमें अभी Subscribe करें। अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। आप इसे whatsapp , Facebook या Twitter जैसे सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर शेयर करके इसे और लोगों तक पहुचाने में हमारी मदद करें। धन्यवाद !

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

Post a Comment (0)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Adblocker detected! Please consider reading this notice.

We've detected that you are using AdBlock Plus or some other adblocking software which is preventing the page from fully loading.

We don't have any banner, Flash, animation, obnoxious sound, or popup ad. We do not implement these annoying types of ads!

We need money to operate the site, and almost all of it comes from our online advertising.

×