क्रायोजेनिक तकनीक क्या है? What is Cryogenic technology ? Explaination

Ashok Nayak
0

Cryogenic technology : आध्यात्मिक तरह से सोचे तो मृत्यु अटल सत्य है, पर असल में अगर वैज्ञानिक की तरह सोचे तो कुछ भी असंभव नहीं । आइये जानते हैं क्रयोजेनिक्स तकनीक के बारे में।

वर्तमान मे ऐसे व्यक्तियों की संख्या बढ़ते जा रही है जो अपने शरीर को क्रायोजेनिकली संरक्षित रखने के लिये कंपनीयों को बड़ी राशि प्रदान कर रहे है। उन्हे मृत्यु के पश्चात भी भविष्य मे पुनर्जीवन की आशा है।


Cryogenic technology Which countries have cryogenic technology?  Does India have cryogenic technology? What is the purpose of cryogenics? Who invented cryogenic technology? What is the coldest cryogenic liquid?


Table of content (toc)


क्रायोजेनिक तकनीक क्या है ? ( Cryogenic Technology )

क्रायोजेनिक तकनीक को ‘निम्नतापकी’ कहा जाता है, जिसका ताप -0 डिग्री से -150 डिग्री सेल्सियस होता है। ‘क्रायो’ यूनानी शब्द ‘क्रायोस’ से बना है, जिसका अर्थ ‘बर्फ जैसा ठण्डा’ है।

यह तकनीक विज्ञान फ़तांशी कहानीयो से उपजी है जिसमे शरीर को भविष्य मे पुनर्जीवन की आश मे संरक्षित रखा जाता है। वर्तमान विज्ञान अभी इतना विकसीत नही है कि वह इन हिमीकृत शरीरो को पुनर्जीवित कर सके।

क्रायोजेनिक्स की संकल्पना - Concept of Cryogenics

1964 मे वैज्ञानिक और लेखक राबर्ट एटीन्गर(Robert Ettinger) ने एक 62 पृष्ठ का एक घोषणा पत्र प्रकाशित किया जिसका नाम था “द प्रास्पेक्ट आफ़ इम्मोर्टलीटी(अमरता की संभावना)”, अब यह घोषणा पत्र बढ़कर 200 पन्नो का हो चुका है और वह अब इस तकनीक से जुड़े वैज्ञानिक, नैतिक और आर्थिक पहलुओं का भी समावेश करता है। इस का आरंभ ऐसे होता है।

क्रायोजेनिक्स तकनीक की सच्चाई (The Fact)

अत्यंत कम तापमान पर वर्तमान मे मृत व्यक्तियों के शरीर को क्षति पहुंचाये बगैर अनंत काल तक संरक्षित किया जा सकता है।

क्रायोजेनिक्स तकनीक पर मान्यता (The Assumption)

यदि सभ्यता पनपती रही तो भविष्य मे चिकित्सा विज्ञान शरीर मे हुई किसी भी क्षति का उपचार करने मे सक्षम होगा जिसमे हिमीकरण से उत्पन्न क्षति के साथ मृत्यु के कारण का भी समावेश है।

2011 मे राबर्ट एटींगर का शरीर भी उसके पहले संरक्षित उनकी माता और दो पत्नियों के शरीर के साथ भविष्य मे पुनर्जीवन की आशा मे संरक्षित कर दिया गया।

क्रायोजेनिक्स तकनीक कैसे काम करती है ?

1. मृत्यु के तुरंत पश्चात शरीर को बाह्य बर्फ़ के पैकेटो की सहायता से शीतल कर संरक्षण केंद्र तक पहुंचाया जाता है। मृत्यु के बाद जितनी जल्दी हो सके, लाश को ठंडा कर जमा दिया जाता है ताकि उसकी कोशिकाएं, ख़ास कर मस्तिष्क की कोशिकाएं, ऑक्सीजन की कमी से टूट कर नष्ट न हो जाएं। इसके लिए पहले शरीर को बर्फ़ से ठंडा कर दिया जाता है।

2. संरक्षण केंद्र मे पहुंचने के पश्चात शरीर से रक्त निकाल लिया जाता है और शरीर के अंगों के हिमीकरण से बचाव के लिये धमनीयों मे हिमीकरण रोधी द्रव डाला जाता है तथा खोपड़ी मे छोटे छिद्र बनाये जाते है। इसके बाद ज़्यादा महत्वपूर्ण काम शुरू होता है. शरीर से ख़ून निकाल कर उसकी जगह रसायन डाला जाता है, जिन्हें ‘क्रायो-प्रोटेक्टेंट’ तरल कहते हैं। ऐसा करने से अंगों में बर्फ नही बनते। यह ज़रूरी इसलिए है कि यदि बर्फ़ जम गया तो वह अधिक जगह लेगा और कोशिका की दीवार टूट जाएगी।

3. इसके बाद शरीर को एक शयन बैग मे डाल कर द्रव नाइट्रोजन मे -196 °C तापमान पर रख दीया जाता है।

अमरीका में 150 से अधिक लोगों ने अपने शरीर तरल नाइट्रोजन से ठंडा कर रखवाए हैं। इसके अलावा 80 लोगों ने सिर्फ़ अपना मस्तिष्क सुरक्षित रखवाया है। पूरे शरीर को जमा कर सुरक्षित रखने में 1,60,000 डॉलर ख़र्च हो सकता है। मस्तिष्क को सुरक्षित रखने में 64,000 डॉलर का ख़र्च आता है।

क्रायोजेनिक्स तकनीक से आशा - Hope from cryogenics technology

रोगी इस आशा मे अपने शरीर का हिमीकरण कराते है कि भविष्य का चिकित्सा विज्ञान उनकी मृत्यु को वापिस कर उन्हे जीने का एक और अवसर देगा। इस तकनीक के समर्थक कहते है कि कुछ ऐसे जीव है जो हिमीकरण के पश्चात स्व्यं ही पुनर्जीवित हो उठते है। इन जीवो मे शामिल है :

1.आर्कटिक क्षेत्र की जमीनी गिलहरी

2.कछुये की कुछ प्रजाति

3.आर्काटीक उनी कंबल किड़ा

4.टार्डीग्रेड्स

इस तकनीक के समर्थक मानते है कि भविष्य मे चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित हो जायेगा कि इन व्यक्तियों को पुनर्जीवन दे देगा। यह 100 वर्ष पश्चात हो सकता है या इसमे अगले 1000 वर्ष भी लग सकते है।

क्रायोजेनिक्स तकनीक के जोखिम - Risks of Cryogenics Techniques

पुनर्जीवन की आस मे शरीर संरक्षण की किमत कम नही है। एक शरीर के संरक्षण की किमत कंपनी के अनुसार 30,000$ से 200,00 $ के मध्य होती है।

इस बात की कोई गारंटी नही है कि भविष्य का चिकित्सा शास्त्र मृत्यु को हरा कर पुनर्जीवन दे पायेगा। वर्तमान मे ही इस बात की कोई गारंटी नही है कि हिमीकरण से सामान्य स्तिथि मे शरीर को वापिस लाने की प्रक्रिया मे शरीर को कोई नुकसान नही पहुंचेगा। वर्तामान मे हिमीकरण से वापिस लाने पर शरीर की पेशीया पहले जैसी स्तिथि मे नही लाई जा सकी है।

यदि किसी तरह से शरीर को हानि पहुंचने से बचाया भी जा सके तो इस बात की कोई गारंटी नही है कि मानव को अन्य जीवो के जैसे पुनर्जीवित किया जा सकेगा।

यदि आपको निश्चय मृत्यु और पुनर्जीवन की संभावना मे से कोई एक चुनना हो तो क्या आप अपने शरीर को हिमीकृत कराना पसंद करेंगे ?

तो दोस्तों, कैसी लगी आपको हमारी यह पोस्ट ! इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें, Sharing Button पोस्ट के निचे है। इसके अलावे अगर बीच में कोई समस्या आती है तो Comment Box में पूछने में जरा सा भी संकोच न करें। अगर आप चाहें तो अपना सवाल हमारे ईमेल Personal Contact Form को भर कर भी भेज सकते हैं। हमें आपकी सहायता करके ख़ुशी होगी । इससे सम्बंधित और ढेर सारे पोस्ट हम आगे लिखते रहेगें । इसलिए हमारे ब्लॉग “Variousinfo” को अपने मोबाइल या कंप्यूटर में Bookmark (Ctrl + D) करना न भूलें तथा सभी पोस्ट अपने Email में पाने के लिए हमें अभी Subscribe करें। अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। आप इसे whatsapp , Facebook या Twitter जैसे सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर शेयर करके इसे और लोगों तक पहुचाने में हमारी मदद करें। धन्यवाद !

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

Post a Comment (0)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Adblocker detected! Please consider reading this notice.

We've detected that you are using AdBlock Plus or some other adblocking software which is preventing the page from fully loading.

We don't have any banner, Flash, animation, obnoxious sound, or popup ad. We do not implement these annoying types of ads!

We need money to operate the site, and almost all of it comes from our online advertising.

×