पाठ 1- संसाधन और विकास भूगोल (sansaadhan aur vikash bhugol) Geography Class 10th

Ashok Nayak
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संसाधन और विकास भूगोल (sansaadhan aur vikash) Bhugol Class 10th

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पाठ 1-  संसाधन और विकास भूगोल (sansaadhan aur vikash bhugol) Geography Class 10th


संसाधन क्या है?

हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में उपयोग की जाती है और जिसको बनाने के लिए तकनीक उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से संभाव्य तथा सांस्कृतिक रूप से मान्य है, एक संसाधन कहलाता है।

संसाधनों का वर्गीकरण

संसाधनों का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है-
उत्पत्ति के आधार पर - जैव संसाधन, अजैव संसाधन

समाप्यता के आधार पर - नवीकरणीय संसाधन, अनवीकरणीय संसाधन

स्वामित्व के आधार पर - व्यक्तिगत संसाधन, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन, राष्ट्रीय संसाधन

विकास के स्तर के आधार पर - संभावी संसाधन, विकसित संसाधन, भंडार, संचित कोष


उत्पत्ति के आधार पर

जैव संसाधन- जिन संसाधनों की प्राप्ति जीव मंडल से होती है तथा जिनमें जीवन व्याप्त हैं, जैव संसाधन कहलाते हैं जैसे- मनुष्य, वनस्पतिजात, प्राणिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि।

अजैव संसाधन- निर्जीव वस्तुओं से बने सारे संसाधन अजैव संसाधन कहलाते हैं। जैसे-चट्टानें और धातुएं।


समाप्यता के आधार पर

नवीकरणीय संसाधन- वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सौर तथा पवन उर्जा, जल, वन या वन्यजीवन।

अनवीकरणीय संसाधन- वे संसाधन जो एक बार प्रयोग करने के बाद खत्म हो जाते हैं। इन संसाधनों के बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। जैसे- तेल, कोयला इत्यादि।


स्वामित्व के आधार पर

व्यक्तिगत संसाधन- जिन संसाधनों का स्वामित्व निजी व्यक्तियों के हाथों में होता है। जैसे- भूखंड, घरों व अन्य जायदाद के मालिक निजी व्यक्ति होते हैं।

सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन- जिन संसाधनों का स्वामित्व समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं, जैसे- सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल और खेल के मैदान पूरे समुदाय के लिए उपलब्ध होते हैं।

राष्ट्रीय संसाधन- देश में पाए जाने वाले सारे संसाधन राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। तकनीकी तौर से सभी संसाधन राष्ट्र के होते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संसाधन- तट रेखा से 200 किमी. की दूरी (अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र) से परे खुले महासागरीय संसाधनों को अंतर्राष्ट्रीय संसाधन कहा जाता है। इन संसाधनों को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है।


विकास के स्तर के आधार पर

संभावी संसाधन- वैसे संसाधन जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परन्तु इनका उपयोग नहीं किया गया है। उदहारणस्वरुप, भारत के पश्चिमी भाग, राजस्थान एवं गुजरात में पवन और सौर उर्जा संसाधनों की अपार सम्भावना है।

विकसित संसाधन- वैसे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और जिनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।

भंडार- संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है परन्तु प्रौद्योगिकी के अभाव में जिनका उपयोग नहीं किया जा सकता है। उदहारण के लिए, जल दो ज्वलनशील गैसों, हाइड्रोजन और आक्सीजन का यौगिक है जिसे उर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में उपयोग किया जा सकता है लेकिन तकनीकी ज्ञान के अभाव में ऐसा संभव नहीं है।

संचित कोष- वैसे संसाधन जो भंडार का ही एक हिस्सा है और जिनका उपयोग उपलब्ध तकनीक द्वारा किया जा सकता है परन्तु जिनका उपयोग अभी तक शुरू नहीं किया गया है। जैसे- बाँधों में जल, वन आदि संचित कोष है।

मानव अस्तित्व के लिए संसाधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
ऐसा विश्वास किया जाता था कि संसाधन प्रकृति की देन है इसलिए मानव द्वारा इसका अंधाधुंध उपयोग किया गया जिसके फलस्वरूप निम्नलिखित मुख्य समस्याएँ पैदा हो गयी हैं-

  • कुछ व्यक्तियों के लालचवश संसाधनों का ह्रास।
  • समाज के कुछ ही लोगों के हाथों में संसाधनों का संचय, जिसमे समाज के दो हिस्सों संसाधन संपन्न अमीर तथा संसाधनहीन यानि गरीब के बीच संसाधनों का बँट जाना।
  • संसाधनों के अंधाधुध शोषण ने वैश्विक पारिस्थितिकी संकट को पैदा किया है जैसे- भूमंडलीय तापन, ओजोन परत अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण और भूमि-निम्नीकरण आदि।

मानव जीवन की गुणवत्ता और वैश्विक शांति के लिए समाज में संसाधनों का न्यायसंगत बँटवारा आवश्यक हो गया है।

संसाधनों के सही उपयोग के लिए हमें सतत आर्थिक विकास करने की आवश्यकता है।

सतत आर्थिक विकास का तात्पर्य ऐसे विकास है जो पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की उपेक्षा ना करे।

संसाधन नियोजन

संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित सोपान हैं-
(क) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना शामिल होते हैं।
(ख) संसाधन विकास योजनाएँ लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना।
(ग) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।


भू-संसाधन

भूमि एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है।

प्राकृतिक वनस्पति, वन्य-जीवन, मानव जीवन, आर्थिक क्रियाएँ, परिवहन तथा संचार व्यवस्थाएं भूमि पर ही आधारित हैं।

भूमि एक सीमित संसाधन हैं इसलिए हमें इसका उपयोग सावधानी और योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए।

लगभग 43 प्रतिशत भू-क्षेत्र मैदान हैं जो कृषि और उद्योग के विकास के लिए सुविधाजनक हैं।
लगभग 30 प्रतिशत भू-क्षेत्र पर विस्तृत रूप से पर्वत स्थित हैं जो बारहमासी नदियों के प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं, पर्यटन विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करता है और पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण है।
लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा पठारी क्षेत्र है जिसमें खनिजों, जीवाश्म ईंधन और वनों का अपार संचय कोष है।


भारत में भू-उपयोग प्रारूप

भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्व हैं-
भौतिक कारक जैसे- भू-आकृति, जलवायु और मृदा के प्रकार।
मानवीय कारक में जैसे-जनसंख्या-घनत्व, प्रौद्योगिक क्षमता, संस्कृति और परम्पराएँ इत्यादि शामिल हैं।

भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किमी. है, परन्तु इसके 93 प्रतिशत भाग के ही भू-उपयोग आंकड़ें उपलब्ध हैं क्योंकि पूर्वात्तर प्रान्तों असम को छोड़कर अन्य प्रान्तों के सूचित क्षेत्र के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं हैं।
इसके अलावा जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान और चीन अधिकृत क्षेत्रों के भूमि उपयोग का सर्वेक्षण भी नहीं हुआ है।

भूमि-निम्नीकरण और संरक्षण उपाय

कुछ मानव क्रियाओं जैसे वनोन्मूलन, अतिपशुचारण, खनन ने भूमि के निम्नीकरण में मुख्य भूमिका निभाई है।

भूमि निम्नीकरण को रोकने के उपाय:

  • वनारोपण
  • चरागाहों का उचित प्रबंधन
  • पशुचारण नियंत्रण
  • रेतीले टीलों को कांटेदार झाड़ियाँ द्वारा स्थिरीकरण
  • बंजर भूमि का उचित प्रबंधन
  • खनन नियंत्रण


मृदा संसाधन

मृदा अथवा मिट्टी सबसे महत्वपूर्ण नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है।
यह पौधों के विकास का माध्यम है जो पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवों का पोषण करती है।


मृदा का वर्गीकरण

मृदा बनने की प्रक्रिया को निर्धारित करने वाले तत्वों, उनके रंग, गहराई, गठन, आयु व रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर भारत की मृदाओं को निम्नलिखित प्रकारों में बाँटा जा सकता है-

जलोढ़ मृदा:

संपूर्ण उत्तरी मैदान जलोढ़ मृदा से बना है।
पूर्वी तटीय मैदान विशेषकर महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों के डेल्टे भी जलोढ़ मृदा से बने हैं|
अधिकतम उपजाऊ होने के कारण जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है जिससे यहाँ जनसँख्या घनत्व भी अधिक है।
अधिकतर जलोढ़ मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस और चूनायुक्त होती हैं, जो इसे गन्ने, चावल, गेंहूँ और अन्य अनाजों और दलहन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त बनाती हैं।

काली मृदा:

इन मृदाओं का रंग काला है और इन्हें ‘रेगर’ मृदाएँ भी कहा जाता है।
काली मृदा कपास की खेती के लिए उचित समझी जाती है और इसे काली कपास मृदा के नाम से भी जाना जाता है।
ये मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पत्थर पर पाई जाती हैं और दक्षिण-पूर्वी दिशा में गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियों तक फैली है।
काली मृदा बहुत महीन कणों अर्थात् मृत्तिका से बनी हैं।

इनकी नमी धारण करने की क्षमता बहुत होती है।
ये मृदाएँ कैल्सियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, पोटाश और चूने जैसे पौष्टिक तत्वों से परिपूर्ण होती हैं।

लाल और पीली मृदा:

लाल मृदा दक्कन पठार के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में रवेदार आग्नेय चट्टानों पर कम वर्ष वाले भागों में विकसित हुई हैं।
लाल और पीली मृदाएँ उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य गंगा मैदान के दक्षिणी छोर पर और पश्चिमी घाट क्षेत्रों में पहाड़ी पद पर पाई जाती है।
इन मृदाओं का लाल रंग रवेदार आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में लौह धातु के प्रसार के कारण होता है।


लेटराइट मृदा:

लेटराइट मृदा उच्च तापमान और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती है।
ये मृदाएँ मुख्य तौर पर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उड़ीसा तथा असम के पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाती है।
इस मृदा पर अधिक मात्रा में खाद और रासायनिक उर्वरक डालकर ही खेती की जा सकती है।
इस मृदा में ह्यूमस की मात्रा कम पाई जाती है क्योंकि अत्यधिक तापमान के कारण जैविक पदार्थों को अपघटित करने वाले बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।


मरूस्थली मृदा:

ये मृदाएँ मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान में पाई जाती हैं।
इस मृदा को सही तरीके से सिंचित करके कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
शुष्क जलवायु और उच्च तापमान के कारण जलवाष्प दर अधिक है और मृदाओं में ह्यूमस और नमी की मात्रा कम होती है।
नमक की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण झीलों से जल वाष्पीकृत करके खाने का नमक भी बनाया जाता है।


वन मृदा:

ये मृदाएँ आमतौर पर पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं जहाँ पर्याप्त वर्षा-वन उपलब्ध है।
इन मृदाओं के गठन में पर्वतीय पर्यावरण के अनुसार बदलाव आता है।
नदी घाटियों में ये मृदाएँ दोमट और सिल्टदार होती हैं, परन्तु ऊपरी ढालों पर इनका गठन मोटे कणों का होता है।
नदी घाटियों के निचले क्षेत्रों, विशेषकर नदी सोपानों और जलोढ़ पंखों, आदि में ये मृदाएँ उपजाऊ होती हैं।


मृदा अपरदन के कारक

मृदा अपरदन के प्राकृतिक कारक: पवन, हिमनदी और जल मृदा अपरदन के प्राकृतिक तत्व हैं।
मानवीय कारक: जैसे- वनोन्मूलन, अतिपशुचारण, निर्माण और खनन आदि मृदा अपरदन के मानवीय कारक हैं।

मृदा संरक्षण के उपाय:

सोपान अथवा सीढ़ीदार कृषि
पट्टी कृषि
पेड़ों को कतार में लगाकर रक्षक मेखला बनाना


FAQ

(a) कोयला

(b) लौह-अयस्क

(c) कॉपर

(d) सोना

► (a) कोयला

(a) नवीकरणीय

(b) प्रवाह

(c) जैविक

(d) अनवीकरणीय

► (d) अनवीकरणीय

(a) पहली पंचवर्षीय योजना

(b) पांचवीं पंचवर्षीय योजना

(c) वार्षिक योजनाएँ

(d) दसवीं पंचवर्षीय योजना

► पहली पंचवर्षीय योजना

(a) संसाधनों का उपयोग रोकना

(b) भविष्य के लिए संसाधनों की बचत करना

(c) संसाधनों का शोषण

(d) संसाधनों का समान वितरण

► (d) संसाधनों का समान वितरण


5. भूमंडलीय तापन और पर्यावरण प्रदूषण जैसे वैश्विक पारिस्थितिक संकटों के पीछे मुख्य कारण क्या है?

(a) संसाधनों की कमी

(b) कुछ हाथों में संसाधनों का संचय

(c) संसाधनों का अंधाधुंध शोषण

(d) संसाधनों का उपयोग

► (c) संसाधनों का अंधाधुंध शोषण

6. निम्नलिखित में से कौन मानव-निर्मित संसाधन है?

(a) पेट्रोलियम

(b) वन

(c) मशीनें

(d) भूमि

► (c) मशीनें

7. गांधीजी के अनुसार, निम्न में से कौन सा वैश्विक स्तर पर संसाधन की कमी का मूल कारण है?

(a) संसाधनों का संरक्षण

(b) संसाधनों का उपयोग

(c) लालची और स्वार्थी व्यक्ति तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी की शोषणात्मक प्रवृति

(d) पिछड़ी तकनीक।

► (c) लालची और स्वार्थी व्यक्ति तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी की शोषणात्मक प्रवृति

8. भारत में इनमें से किस क्षेत्र में खनिजों और जीवाश्म ईंधन के समृद्ध भंडार हैं?

(a) मैदान

(b) पर्वत

(c) पठार

(d) रेगिस्तान

► (c) पठार

9. हमारे देश में जंगलों वनों के लिए कितना वांछित क्षेत्र है?

(a) 16%

(b) 20%

(c) 23%

(d) 33%

10. संसाधनों को उनकी उत्पत्ति के आधार पर कैसे वर्गीकृत किया जा सकता है?

(a) जैविक और अजैविक

(b) नवीकरणीय और अनवीकरणीय

(c) व्यक्तिगत और सामुदायिक

(d) संभावित और आरक्षित

► (a) जैविक और अजैविक

11. निम्नलिखित में से किस राज्य में अति पशुचारण भूमि निम्नीकरण के लिए जिम्मेदार है?

(a) झारखंड और उड़ीसा

(b) मध्य प्रदेश और राजस्थान

(c) पंजाब और हरियाणा

(d) केरल और तमिलनाडु

► (b) मध्य प्रदेश और राजस्थान

12. जब मिट्टी के पानी के माध्यम से पानी की कटौती चलती है और गहरे चैनल बनाते हैं, तो वे निम्न होते हैं:

(a) अवनालिका अपरदन

(b) चादर अपरदन

(c) वनों की कटाई

(d) वनारोपण 

► (a) अवनालिका अपरदन

13. निम्नलिखित में से कौन सा जैविक संसाधनों का एक उदाहरण है?

(a) चट्टान

(b) लौह अयस्क

(c) सोना

(d) पशु

► (d) पशु

14. इनमें से कौन सा 'जैविक संसाधन' नहीं है?

(a) वनस्पतिजात और प्राणिजात

(b) चट्टानें

(c) मत्स्य पालन

(d) पशुधन

► (b) चट्टानें

15. इनमें से किस प्रांत में सीढ़ीदार खेती की जाती है?

(a) पंजाब

(b) हरियाण

(c) उत्तर प्रदेश के मैदान

(d) उत्तरांचल

► (d) उत्तरांचल

16. निम्नलिखित में से कौन सी मृदा भारत के सबसे विस्तृत क्षेत्र में पाई जाती है और भारत के लिए अति महत्वपूर्ण मिट्टी है?

(a) लेटराइट मृदा

(b) काली मृदा

(c) जलोढ़ मृदा

(d) लाल और पीली मृदा

► (c) जलोढ़ मृदा

17. कौन सा शीत मरुस्थल बाकी देशों के अपेक्षाकृत अलग है?

(a) लेह

(b) कारगिल

(c) लद्दाख

(d) द्रास

► (c) लद्दाख

18. पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?

(a) गहन खेती

(b) वनोन्मूलन

(c) अधिक सिचाई

(d) अति पशुचारण

► (c) अधिक सिचाई

19. संसाधन जो एक क्षेत्र में पाए जाते है लेकिन उनका उपयोग नहीं होता, कहलाते है

(a) नवीनीकरणीय संसाधन

(b) संभाव्य संसाधन

(c) जैविक संसाधन

(d) चक्रीय संसाधन

► (b) संभाव्य संसाधन

20. इनमें से कौन सा एक संसाधन नवीकरणीय संसाधन है?

(a) खनिज तेल

(b) कोयला

(c) गैस

(d) ज्वारीय ऊर्जा

► (d) ज्वारीय ऊर्जा

21. अत्यधिक निक्षालन द्वारा बनी मिट्टी है:

(a) जलोढ़ मिट्टी

(b) लाल मिट्टी

(c) लेटराइट मिट्टी

(d) रेगिस्तानी मिट्टी

► (c) लेटराइट मिट्टी

22. निम्नलिखित में से कौन सा प्राकृतिक संसाधन नही है?

(a) भूमि

(b) भवन

(c) जल

(d) खनिज

► (b) भवन


Final Words

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