प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश और समीक्षा

Ashok Nayak
0

प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश और समीक्षा

इस लेख में हम प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश और समीक्षा प्रस्तुत कर रहे हैं। 

'प्रतिज्ञा' उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट न हो। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संयम को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है। इसी पुस्तक में प्रेमचंद की अंतिम और अपूर्ण उपन्यास मंगल‍सूत्र भी है। इसका बहुत थोड़ा अंश ही वे लिख पाए थे। यह गोदान के तुरंत बाद की कृति है जिसमें लेखक अपनी शक्तियों के चरमोत्कर्ष पर था।

प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश और समीक्षा


Table of content (TOC)

प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश 

बनारस में अमृतराय नामक सज्जन रहते हैं। वे पेशे से वकील हैं पर उन्हें वकालत से ज्यादा समाज - सेवा ही पसंद है, दाननाद उन्के मित्र हैं। अमृतराय का विवाह शहर के जाने माने रईस लाला बदरी प्रसाद की प्रथम पुत्री से होता है पर प्रसव - काल में ही उसकी और बच्चे की भी मौत हो जाती है। अमृतराय दो साल देशाटन करके वापस लौटते हैं और तब तक लालाजी की दूसरी कन्या प्रेमा सयानी हो चुकी होती है। प्रेमा के परिचय से अमृतराय अपनी वेदना भूल जाते है और दोनों का परस्पर प्रेम होता है। लालाजी तो प्रेमा का विवह अमृतराय के दोस्त दाननाद से करना चाहते थे, पर अमृतराय से प्रमा का लगाव देखकर अपना निर्णय बदल लेते हैं। अमृतराय और प्रेमा का विवह होने ही वाला है, परंतु एक घटना से सब कुछ बदल जाता है।

अमृतराय आर्य - मंदिर में एक व्याख्यान सुनकर प्रतिज्ञा करते हैं कि वे एक विधवा से ही शादी करेंगे। इस प्रतिज्ञा से लालाजी नाराज हो जाते है कि यह संप्रदाय के खिलाफ है। पर प्रेमा उसके निर्ण्य का स्वगत करती है और उस से अपना प्रेम त्याग देती है। अब दाननाद से फिर प्रेमा का विवाह तय होता है, दाननाद तो संकोच करते हैं कि मित्र से प्रेम करनेवाली युवती इस विवाह के लिए तयार नहीं होगी। पर अमृतराय के कारण दाननाद विवाह के लिए 'हाँ' कहते हैं। दाननाद और प्रेमा का विवाह हो जाता है।

लाला बदरीप्रसाद के पडोसी वसन्तकुमार प्रवाह के बीच में जाकर डूब जाते हैं इसलिए पूर्णा विदवा बन जाती है। उसका अपना कोई नहीं है। अत: लालाजी अपने घर में उसे आश्रय देखर उसकी रक्षा करते हैं। लालाजी का पुत्र कमलाप्रसाद दुराचारी और लम्पट है। पूर्णा के सौंदर्य से वह चकित हो जाता है और गलतनीति अपनाकर उसे पाने का प्रयास करते रहता है। वह जाल बिछाकर पूर्णा को फसाना चाहता है और कई झूठी बातें कहकर उसका मन जीतने की कोशिश करता है। सुमित्रा, जो उसकी पत्नी है-पूर्णा को धैर्य देती है और अन्याय के खिलाफ लडने की प्रेरणा देती है। 

दाननाद प्रेमा को पाकर संतुषट नहीं शंकालु बन जाते हैं। उसे शक है कि प्रेमा अभी अमृतराय के प्रेम से बाहर नहीं आयी है। वह कमलाप्रसाद की दोस्ती से अमृतराय के खिलाफ जाने लगता हैं और उनकी निन्दा भी करने लगता हैं। अमृतराय अपनी जमीन -जायदाद बेचकर ' वनीता-भवन' का निर्माण करते हैं जो विधवाओं और अनाथ बालिकाओं का शरणालय है, उसके संचालन के लिए अमृतराय चन्दा वसुल करना चाहते हैं तो कमलाप्रसाद और दाननाध इसकी भी आलोचना करते हैं। एक कार्यक्रम में कमलाप्रसाद के भेजे गये गुंडे लोग अमृतराय पर आक्रमण करते है। परंतु प्रेमा बीच में आकर उन्हें रोकती है। उसके भाषण से चन्दा - वसूली कार्यक्रम सफल हो जाता है। परंतु इससे दाननाद और प्रेमा के बीच दूरियां बढ जाती है।

एक दिन बहाना बनाकर कमलाप्रसाद पूर्णा को शहर से दूर अपने बगीचे में ले चलता हैं। वहां पूर्णा का बलात्कार करने की कोशिश करता है, तो पूर्णा उसके चेहरे पर कुर्सी दे-मारकर भाग जाती है, कमलाप्रसाद बुरीतरह चोट खाकर गिर पड़ता है। पूर्णा भागकर अमृतराय की शरण में जाती है और वनिता भवन में आश्रय पाती है। पूर्णा के कारण कमलाप्रसाद की जगहंसाई होती है और वह पूरी तरह बदल जाता है। इधर दाननाद भी अपने किए पर पछतात है कि कमलाप्रसाद जैसे दुष्ट की बातों में आकर वे अमृतराय का विरोध करते आये। वह अमृतराय से क्षमा मांगते हैं और अमृतराय तो सह्र्दय हैं, वे भी मित्रता का हाथ आगे बढ़ाते हैं। दोनों मित्रों के पुनर्मिलन से प्रेमा बहुत खुश होती है और दाननाध को पूरे दिल के साथ अपनाती है।

वनिता-भवन में जाकर पूर्णा मानसिक शान्ति का अनुभव करती है। वह भवन विधवाओं का आश्रम ही नहीं, उनका प्रशिक्षणाय भी है, वहं विधवाओं की बनी चीजों की बिक्री होती है और इससे उन्हें स्वावलम्बन का अनुभव भी होता है। जब दाननाद अपने मित्र को प्रतिज्ञा की याद दिलाते हैं तब अमृतराय वनिता भवन की ओर दिखाकर सूचना देते है कि अब उसका निर्वाह करने में ही प्रतिज्ञा पूरी होगी। दाननाद जानते है कि अब अमृतराय आजीवन अविवाहित रहकर समाज सेवा करेगें।

प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास की समीक्षा

इस उपन्यास में प्रेमचन्द ने नन्कलीन भारतीय समाज में व्याप्त विध्वा-समस्या का चित्रण किया। पूर्णा पात्र के द्वारा समाज में तिरस्कृत और पीड़ित विधवाओं की मजबूरियों का मरमस्पर्शी चित्रण किया गया। सुमित्रा और प्रेमा के पात्र आदर्श नारी - पात्र हैं तो कमलाप्रसाद अबलाओं पर अत्याचार करनेवाले दुष्टों का प्रतिनिधि है। प्रेमचन्द ने विध्वा-समस्या का समाधान अर्थिक स्ववलम्बन में दिखाया, जो आचरणात्मक है। प्रेमचन्द ने अपने जीवन में स्व्यं एक बाल - विधवा से विवाह करके समाग के सामने आदर्श प्रस्तुत किया। प्रस्तुत उपन्यास की भाषा सरल और व्यावहारिक है। कहावतों और मुहावरों के प्रयोग से उपन्यास सजीव बन पड़ा। हर दृष्टि से यह उपन्यास प्रेमचन्द की उत्तम कृतियों में से एक है।

FAQ

मुंशी प्रेमचंद
विधुर अमृतराय
विधवा पूर्णा
प्रेमा

Final Words

तो दोस्तों आपको हमारी पोस्ट कैसी लगी! शेयरिंग बटन पोस्ट के नीचे इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। इसके अलावा अगर बीच में कोई परेशानी हो तो कमेंट बॉक्स में पूछने में संकोच न करें। आपकी सहायता कर हमें खुशी होगी। हम इससे जुड़े और भी पोस्ट लिखते रहेंगे। तो अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर हमारे ब्लॉग "various info: Education and Tech" को बुकमार्क (Ctrl + D) करना न भूलें और अपने ईमेल में सभी पोस्ट प्राप्त करने के लिए हमें अभी सब्सक्राइब करें। 

अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। आप इसे व्हाट्सएप, फेसबुक या ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर साझा करके अधिक लोगों तक पहुंचने में हमारी सहायता कर सकते हैं। शुक्रिया!

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

Post a Comment (0)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Adblocker detected! Please consider reading this notice.

We've detected that you are using AdBlock Plus or some other adblocking software which is preventing the page from fully loading.

We don't have any banner, Flash, animation, obnoxious sound, or popup ad. We do not implement these annoying types of ads!

We need money to operate the site, and almost all of it comes from our online advertising.

×